पटना, बिहार | 3 जुलाई 2025:
भारत की न्याय प्रणाली में जहां अक्सर पैसे, पावर और पहचान का बोलबाला होता है, वहीं Advocate Saurabh Mishra जैसे नाम इस व्यवस्था को फिर से मानवता से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। वे न केवल कानून के जानकार हैं, बल्कि समाज के लिए समर्पित एक ऐसे योद्धा हैं, जो हर वर्ग को न्याय दिलाने का सपना लेकर काम कर रहे हैं।
गरीब परिवार से राष्ट्रीय पहचान तक
दरभंगा जिले के एक सामान्य ब्राह्मण परिवार में जन्मे Saurabh Mishra का बचपन संघर्षों में बीता। आर्थिक कठिनाइयों के बीच उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और वकालत को सिर्फ करियर नहीं, एक मिशन बनाया। आज वे पटना, दरभंगा और मधुबनी में प्रख्यात क्रिमिनल लॉयर के रूप में पहचाने जाते हैं।
वे कहते हैं:
“मैंने अदालत की सीढ़ियाँ चढ़ते वक्त हर कदम पर अपने अतीत को साथ रखा, ताकि कभी किसी पीड़ित को नजरअंदाज न कर सकूं।”
न्याय का चेहरा बने, डर नहीं
Saurabh Mishra ने ऐसे कई मामलों की पैरवी की है जिन्हें दूसरे वकील लेने से डरते हैं — गैंग क्राइम, हत्या, महिला उत्पीड़न जैसे जटिल केस। लेकिन उनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे असहाय, निर्धन और विशेषकर महिलाओं के केस नि:शुल्क लड़ते हैं।
उनके अनुसार:
“कानून किताबों में नहीं, जमीनी इंसान की जिंदगी में होना चाहिए।”
शिक्षा से नहीं, दृष्टिकोण से बनती है पहचान
Advocate Saurabh Mishra ने Criminology और Criminal Psychology में डॉक्टरेट प्राप्त की है। उनकी रिसर्च ने उन्हें कोर्टरूम में दूसरों से अलग खड़ा किया है। अपराधियों की मानसिकता को समझने की उनकी क्षमता ने कई मामलों को नई दिशा दी है।
उनके इस योगदान के लिए उन्हें 20 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार मिल चुके हैं, जिनमें National Prestige Award भी शामिल है।
परिवार ही असली शक्ति है
अपने संघर्षों में वे कभी नहीं भूले कि उन्हें सहारा देने वाला कोई था — उनकी मां मेघा देवी, जिनकी तपस्या उन्हें शक्ति देती है और उनकी पत्नी शोभा सिंह, जो हर मोड़ पर उनके साथ खड़ी रहीं। वे कहते हैं:
“मेरी जीत मेरी नहीं, मेरे परिवार की तपस्या का नतीजा है।”
न्याय को मिशन में बदला
आज जहां वकालत अक्सर व्यावसायिकता में लिपटी होती है, वहीं Saurabh Mishra उसे एक सामाजिक आंदोलन बना रहे हैं। वे गांव-गांव जाकर कानूनी जागरूकता शिविर आयोजित करते हैं, युवाओं को कानूनी शिक्षा और करियर मार्गदर्शन देते हैं, और जरूरतमंदों को न्याय की राह दिखाते हैं।
वे बिहार के हजारों युवाओं के लिए Mentor हैं, जो उन्हें सिर्फ वकील नहीं, ‘People’s Advocate’ कहते हैं।
सादा जीवन, ऊंचे विचार
आज भी उनके व्यवहार में विनम्रता, बोलचाल में सरलता और सोच में गहराई है। चाहे वे कोर्ट में हों या गांव के किसी पीड़ित के घर, उनके शब्दों में एक-सा अपनापन होता है।
निष्कर्ष:
Advocate Saurabh Mishra का जीवन केवल कानून के दायरे में नहीं, समाज के हर उस कोने में प्रेरणा बन चुका है जहां कोई अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने से डरता है। उनका संघर्ष, उनकी सेवा और उनका दृष्टिकोण आज की न्यायिक व्यवस्था को एक नई दिशा देने का कार्य कर रहा है।
वे न केवल एक वकील हैं, बल्कि एक चलती-फिरती न्याय प्रणाली हैं — जो कहती है कि “न्याय बिकाऊ नहीं, सुलभ होना चाहिए।”
📌 प्रोफाइल संक्षेप में:
नाम: Advocate Saurabh Mishra
जन्मस्थान: दरभंगा, बिहार
मुख्य क्षेत्र: पटना, दरभंगा, मधुबनी
विशेषज्ञता: क्रिमिनल लॉ, क्रिमिनल साइकोलॉजी
अनुभव: 13+ वर्ष
शैक्षणिक उपलब्धि: PhD in Criminal Psychology
सम्मान: 20+ राष्ट्रीय पुरस्कार
सेवा क्षेत्र: नि:शुल्क केस, कानूनी जागरूकता, सामाजिक न्याय, युवाओं को प्रेरणा